Sandhyamishra

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लेखनी कहानी -19-Oct-2022

🌸🌸प्रेरक प्रसंग🌸🌸
🌸🌸श्री हनुमान चालीसा के कुछ रोचक तथ्य🌸🌸

1. हनुमान चालीसा की शुरुआत श्रीगुरु शब्द से होती है जिसमे श्री का अर्थ माता सीता से है। हनुमान जी माता सीता को अपना गुरु मानते थे, इसलिये शुरुआत में श्री शब्द को जोड़ा गया है। एक बार माता सीता ने भक्त हनुमान की श्रीराम के प्रति सच्ची निष्ठा व भक्तिभाव से प्रसन्न होकर उन्हें हमेशा अमर होने का वरदान दिया था। और  यह कर्तव्य भी दिया कि वे कलयुग के अंत तक जीवित रह कर भगवान विष्णु के सभी अवतारों में उनके सहायक की भूमिका में होंगे। साथ ही साथ माता सीता ने हनुमान को यह आशीर्वाद भी  दिया था कि जब तक इस पृथ्वी पर श्रीराम का नाम रहेगा तब तक भक्त हनुमान भी यहाँ विराजमान रहेंगे।

2. आइये अब हम यह  जानने कि कोशिश करते है, कि हनुमान चालीसा का नाम हनुमान चालीसा ही क्यों पड़ा? अर्थात इसमें हनुमान के बाद चालीसा शब्द का प्रयोग किस उद्देश्य से किया गया हैं?
तो इसका उत्तर यह है कि, इसका नाम हनुमान चालीसा इसलिए पड़ा क्योंकि इसमें हनुमान जी को समर्पित कुल 40 चौपाईयां हैं। चालीसा का अर्थ 40 अंकों से हैं। हनुमान चालीसा में शुरुआत में 2 दोहे, फिर 40 चौपाईयां व अंत में एक दोहा आता हैं।
3. इसमें प्रथम 10 चौपाईयां हनुमान जी के शौर्य व वीरता के बारे में बताती हैं, 11 से 20 चौपाईयां हनुमान जी की श्रीराम व उनके छोटे भाई लक्ष्मण की सेवा के रूप में उनके कार्यों को बताती हैं तथा अंत की 20 चौपाईयां हनुमान जी की अपने भक्तों के ऊपर कृपा को समर्पित हैं।
4. इसमें से एक चौपाई “जुग सहस्त्र जोजन पर भानु, लील्यो ताहि मधुर फल जानू” सूर्य से पृथ्वी की एक दम सटीक दूरी को दर्शाती है जिसे आज के विज्ञान से बहुत पहले बता दिया गया था। इसमें जुग का अर्थ युग से, सहस्त्र का अर्थ हज़ार से व जोजन का अर्थ एक योजन से है।
 इसे गणित की भाषा से  ऐसे समझा जा सकता है :

एक जुग (युग)= 12,000 वर्ष

एक सहस्त्र= 1,000

एक जोजन (योजन)= 8 मील

अर्थात युग (12,000) * सहस्त्र  (1,000) * जोजन (8 मील) = भानु/ सूर्य (9,60,00,000 मील)

एक मील में 1.6 किलोमीटर होते हैं अर्थात 9,60,00,000 * 1.6 = 15,36,00,000 किलोमीटर

हनुमान चालीसा में दी गयी सूर्य की पृथ्वी से दूरी आज के विज्ञान के अनुसार एक दम सटीक बैठती है जो कि लगभग 15 करोड़ किलोमीटर है। 

5. 15वीं शताब्दी में तुलसीदास जी ने रामचरितमानस व हनुमान चालीसा की रचना की थी। वे प्रतिदिन काशी में गंगाघाट के किनारे रामचरितमानस का पाठ किया करते थे जिसे सुनने कई लोग आया करते थे। किंतु उन सभी में से एक वृद्ध व्यक्ति हमेशा सबसे पहले आता व सबसे अंत में जाता। तुलसी दास जी रोज उन्हें देखते। वह व्यक्ति कोई और नही बल्कि स्वयं रामभक्त हनुमान थे।

एक दिन तुलसीदास जी ने उन्हें पहचान लिया व सभी के जाने के पश्चात उनसे हाथ जोड़कर विनती की कि वे अपना असली परिचय उन्हें दे। इसके बाद हनुमान जी ने उन्हें दर्शन दिए तथा तुलसीदास जी ने उनके सामने प्रथम बार हनुमान चालीसा का पाठ करके सुनाया। इसके बाद हनुमान जी उन्हें श्रीराम व लक्ष्मण से मिलने का मार्ग बताया व वहां से अंतरध्यान हो गए।
(स्वरचित: संध्या मिश्रा) 
(महु, इंदौर, मध्य प्रदेश)

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7 Comments

Shnaya

21-Oct-2022 08:15 PM

शानदार

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Khan

20-Oct-2022 04:07 PM

Bahut khoob 💐👍

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Supriya Pathak

20-Oct-2022 12:48 AM

Bahut khoob 🙏🌺

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